मैं श्रेष्ठ हूं
विषय ; लेख
शीर्षक ; मै श्रेष्ठ
आजकल इंसान एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगा हुआ है ।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई होड़ लगी हो , एक दूसरे को नीचा दिखाने की ।
खुद को दूसरे से बेहतर समझता है । खुद को ही सबसे श्रेष्ठ समझता है ।चाहे उसके सामने फिर उसका कोई नजदीकी ही क्यों न हो ।
आजकल इंसान को लगता है जो मैने कहा वो सही है और सामने वाला उसी में हां में हां मिला दे ।चाहे दूसरा व्यक्ति उसकी बात से सहमत ना हो ।
ये तो वही बात हुई तू डाल डाल मै पात पात ।।
खुद को श्रष्ठ समझना गलत नही लेकिन हर बात में खुद को ही समझना गलत है । इस चक्कर में ना जाने कितने रिश्ते बिगड़ जाते है ।
अगर हमे रिश्ते बनाए रखने के लिए थोड़ा झुकना भी पड़े तो उसमे हर्ज क्या है??
मैं श्रेष्ठ हूं ये आत्मविश्वास ,
और मैं ही श्रेष्ठ हूं ये अहंकार है ।।
नीर( निधि सक्सैना)
Abhinav ji
18-Dec-2022 09:27 AM
Very nice
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Haaya meer
18-Dec-2022 08:59 AM
Well done
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